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नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ असम क्यों उबल रहा है ?

नई दिल्ली

भारत के असम में नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का ग़ुस्सा अब कई तरह से सामने आ रहा है. विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोग “आरएसएस गो-बैक” के नारे लगा रहे हैं, साथ ही अपने नारों में सत्ताधारी बीजेपी को सतर्क कर रहे हैं.

सड़कों पर उतरे ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के कार्यक्रताओं ने इससे पहले नगरिकता बिल के ख़िलाफ़ मशाल जुलूस निकालकर अपना विरोध जताया. वहीं, स्थानीय कलाकार, लेखक- बुद्धिजीवी समाज और विपक्षी दलों के लोग अलग-अलग तरीक़ों से अपना विरोध जता रहे हैं.

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संक्षेप में CAB भी कहा जाता है और यह बिल शुरू से ही विवादों में रहा है. असम के डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, धेमाजी, शिवसागर और जोरहाट ज़िले की कई जगहों पर सोमवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित कर यातायात व्यवस्था ठप कर दी. वहीं रेल की आवाजाही ठप करने और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों के टकराव की ख़बरें भी सामने आ रही हैं.

इस बीच, ऑल असम सूटीया स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन और ऑल असम मोरान स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने सोमवार सुबह से असम में 48 घंटे का बंद बुलाया है जिसका ऊपरी असम के क़रीब आठ ज़िलों में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. इन ज़िलों में बाज़ार पूरी तरह बंद हैं और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है. नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे ये छात्र संगठन बीते कुछ महीनों से यहां की छह जनजातियों को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग करते आ रहे हैं.

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