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एनआरसी में धर्म विशेष को छूट देने का प्रावधान नहीं, सभी नागरिक शामिल होंगे, अमित शहा का बयान

नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश के सभी नागरिकों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) में शामिल किया जाएगा, इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उनका धर्म क्या है। एनआरसी नागरिकता संशोधन बिल से अलग है। एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी धर्म विशेष को इससे बाहर रखा जाए। देश के सभी नागरिक, भले ही उनका धर्म कोई भी हो.. इसमें शामिल किए जाएंगे।

‘कानूनी सहायता की व्यवस्था न कर पाने वालों को सरकार मदद करेगी’
शाह ने कहा- एनआरसी की प्रक्रिया पूरे देश में होगी। किसी को भी, भले ही वो किसी भी धर्म का हो.. उसे इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह केवल सभी को एनआरसी के तहत लाने की प्रक्रिया है। जिन लोगों का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया है, उन्हें ट्रिब्यूनल के पास जाने का पूरा हक है। पूरे असम में ट्रब्यूनल का गठन किया गया है। जो लोग ट्रिब्यूनल के लिए कानूनी मदद की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं, उन्हें असम सरकार वकील मुहैया करवाएगी। 31 अगस्त को असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की गई थी। इस लिस्ट में 3.11 करोड़ लोगों का नाम शामिल था। इसमें 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया था।

‘नागरिकता संशोधन बिल गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए’
गृहमंत्री ने कहा- नागरिकता संशोधन बिल की आवश्यकता इसलिए है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर बहिष्कृत किए गए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, क्रिश्चियन, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सके। नागरिकता संशोधन बिल 2016 इसी साल 8 जनवरी को लोकसभा से पास किया गया था। इसका मकसद 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए गैर-मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता देना है।

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